Himachal 10th Result- नादौन की रिद्धिमा शर्मा सहित दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे ये टॉपर, बताई अपनी सफलता की कहानी

मनोज कुमार शर्मा, हमीरपुर। मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती, इस लाइन को सार्थक कर दिखाया है। हमीरपुर की रहने वाली रिद्धिमा शर्मा ने, जिन्होंने हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड में दसवीं के परीक्षा परिणाम में प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया

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मनोज कुमार शर्मा, हमीरपुर। मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती, इस लाइन को सार्थक कर दिखाया है। हमीरपुर की रहने वाली रिद्धिमा शर्मा ने, जिन्होंने हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड में दसवीं के परीक्षा परिणाम में प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया है। उनकी इस उपलब्धि से उनके माता-पिता काफी खुश नजर आ रहे हैं।

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सोशल मीडिया से मिली टॉपर होने की जानकारी

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड में दसवीं के परीक्षा परिणाम में पहले स्थान पर रहने वाली रिद्धिमा शर्मा के पिता अश्वनी शर्मा ने कहा कि रिजल्ट निकलने की सूचना तो एक दिन पहले पता चली थी। बेटी के रिजल्ट के लिए इंटरनेट पर बार-बार ट्राई कर रहा था। स्कूल शिक्षा बोर्ड की साइट शायद हैंग थी। इतनी देर में मोबाइल फोन उठाया तो फेसबुक खोला। किसी ने शेयर किया कि रिद्धिमा शर्मा दसवीं की टॉपर है।

उन्होंने कहा कि अब रिजल्ट जानने की उत्सुकता और बढ़ गई, क्योंकि बेटी रिद्धिमा पर विश्वास था कि मेरिट में आएगी। इसी बीच किसी परिचित का फोन आया कि बेटी ने प्रदेश में टॉप किया है...इतना कहते ही मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा।

ट्रैक्टर कंपनी में काम करते रिद्धिमा के पिता

होशियारपुर स्थित ट्रैक्टर बनाने वाली कंपनी में कार्यरत अश्वनी मंगलवार को भी ड्यूटी पर आए थे, लेकिन बेटी की उपलब्धि के बाद नादौन के कलूर स्थित घर आ गए हैं। अश्वनी कहते हैं कि ऐसी बेटियां भगवान हर किसी को दे।

गृहिणी माता सीमा शर्मा ने कहा कि बेटी ने हमारा सिर गर्व से ऊंचा किया है। दादी सिमरो देवी को बधाई देने हर कोई पहुंच रहा है। तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी रिद्धिमा की छोटी बहन जीविका भी नौवीं कक्षा में सीनियर सेकेंडरी स्कूल (कन्या) नादौन की छात्रा है। भाई कार्तिक एलकेजी में है।

रिद्धिमा ने 700 में से पाए 699 अंक

700 में से 699 अंक पाने पर रिद्धिमा कहती हैं कि एक अंक न जाने कैसे कट गया। मुझे यह विश्वास तो था कि मेरिट में जगह बनाऊंगी लेकिन टॉपर आने के बारे में सोचा नहीं था। मोबाइल फोन के बारे में रिद्धिमा कहती हैं कि सिर्फ पढ़ाई के लिए एक-आध घंटा प्रयोग करती हूं। छह-सात घंटे पढ़ाई के अलावा घर के काम में भी रिद्धिमा हाथ बंटाती हैं। रात 12 बजे तक पढ़ाई करना और सुबह सात किलोमीटर दूर स्कूल जाना दिनचर्या का हिस्सा रहा है।

रिद्धिमा का कहना है कि सफलता एक दिन या रात से नहीं मिलती, इसके लिए लगातार मेहनत करनी पड़ती है। रिद्धिमा की पहली कक्षा से आठवीं कक्षा की पढ़ाई सर्वोदय पब्लिक स्कूल नादौन में ही हुई हैं। उसके बाद सरकारी स्कूल में दाखिला लिया।

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बिना ट्यूशन पढ़े कृतिका ने प्रदेश में हासिल किया दूसरा स्थान

साधारण परिवार से संबंध रखने वाली कृतिका के पिता संजय शर्मा भवारना में इलेक्ट्रिकल सामान बेचने वाली दुकान में कार्य करते हैं और माता गृहिणी है। अध्यापकों की ओर से पढ़ाए विषयों को दिल में उतारकर पढ़ाई करने वाली कृतिका ने आज दिन तक ट्यूशन तक नहीं पढ़ी। कम संसाधनों के बावजूद बेटी ने पिता के सपने को साकार किया है।

कृतिका ने प्रदेश में हासिल किया दूसरा स्थान

भवारना के साथ लगते पुन्नर गांव की कृतिका नर्सरी क्लास से ही न्यूगल स्कूल भवारना में पढ़ी और अब जमा एक में भी यहीं शिक्षा ग्रहण कर रही है। कृतिका शुरू से ही होनहार है। वह हर कक्षा में प्रथम आती रही है। दसवीं कक्षा के परीक्षा परिणाम की मेरिट सूची में दूसरा स्थान कृतिका शर्मा ने प्राप्त किया है।

पिता संजय शर्मा बताते हैं कि बेटी शुरू से ही होनहार रही है और हर कक्षा में प्रथम आती है। कृतिका के दसवीं के परीक्षा परिणाम पर उन्हें गर्व है। कृतिका भविष्य में चार्टर्ड अकाउंट बनना चाहती है और इसके लिए उसने अभी से ही तैयारी शुरू कर दी है।

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बरठीं के शिवम ने 697 अंक हासिल कर पाया तीसरा स्थान

स्कूल में पढ़ाई और स्वजन के साथ खेती में हाथ बंटाने के बावजूद रोजाना तीन से चार घंटे पढ़ाई कर बरठीं क्षेत्र के शिवम ने दसवीं कक्षा में 697 अंक लेकर मेरिट में तीसरा स्थान पाया है। शिवम ने इस उपलब्धि से घर में खुशियां ला दी हैं। स्वजन को बेटे की मेहनत पर विश्वास था, लेकिन उन्हें अहसास नहीं था कि शिवम प्रदेश भर में तीसरा स्थान हासिल करेगा।

बड़ी बहन ने की मदद

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बरठीं के शिवम के पिता नरेंद्र कुमार किसान हैं। शिवम ने बताया कि अध्यापकों की ओर से जो भी गृह कार्य मिलता था, उसको समय पर किया जाता था। कुछ विषयों को पिता के मोबाइल फोन पर यूट्यूब चैनल से भी समझता था। बड़ी बहन नंदिनी शर्मा 12वीं विज्ञान संकाय में मात्र सात अंक से मेरिट सूची में आने से चूक गई थी। उसने भी पढ़ाई में काफी मेहनत करवाई।

भाई बहन की मेहनत लाई रंग

नंदिनी सुबह 4 बजे पढ़ने के लिए उठती थी तो छोटे भाई को भी साथ उठाती थी। नंदिनी रात को 11 बजे से पहले ना तो खुद सोती थी न ही शिवम को सोने देती थी। आज इन दोनों भाई-बहनों की मेहनत रंग लाई है। शिवम की दादी करीब तीन साल पहले गिरने की वजह से बिस्तर पर है। वह चल फिर नहीं सकती हैं। शिवम दादी की सेवा भी करता है। शिवम सामाजिक कार्यों में भी बढ़ चढ़कर भाग लेता है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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